पुतिन के जिस प्‍लान से चीन था गदगद, उस पर फिर गया पानी, रूस ने कर दी मोदी के मन की बात

नई दिल्‍ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कॉमन ब्रिक्‍स करेंसी की बात करते रहे हैं। इस प्‍लान से चीन खुशी से फूला नहीं समा रहा था। हालांकि, अब पुतिन ने कुछ ऐसा कहा है जिससे चीन की खुशी हवा हो गई है। अलबत्‍ता, रूसी राष्‍ट्रपति ने अपने रुख में

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नई दिल्‍ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कॉमन ब्रिक्‍स करेंसी की बात करते रहे हैं। इस प्‍लान से चीन खुशी से फूला नहीं समा रहा था। हालांकि, अब पुतिन ने कुछ ऐसा कहा है जिससे चीन की खुशी हवा हो गई है। अलबत्‍ता, रूसी राष्‍ट्रपति ने अपने रुख में बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कह दी है। उन्‍होंने कहा है कि ब्रिक्स देशों की अपनी करेंसी लाने का समय अभी नहीं आया है। लेकिन, साथ ही ये भी बताया कि 10 देशों वाला यह समूह आपसी व्यापार और निवेश में डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है। इसके लिए रूस भारत और अन्य देशों के साथ काम कर रहा है। भारत पहले ही कह चुका है कि वह अमेरिकी डॉलर के खिलाफ किसी एजेंडे में शामिल नहीं होगा।
पुतिन ने कहा है कि ब्रिक्स के सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं की संरचना और गुणवत्ता में अंतर होने के कारण नई रिजर्व करेंसी बनाने में सतर्क रुख अपनाना चाहिए। इन देशों को राष्ट्रीय मुद्राओं के इस्‍तेमाल, नए वित्तीय साधनों और SWIFT के जैसा एक और सिस्टम बनाने पर फोकस करना चाहिए।

पुतिन ने हाल में मास्को से लगभग 50 किलोमीटर दूर नोवो-ओगारेवो में अपने आधिकारिक आवास पर ब्रिक्स के सदस्य देशों के वरिष्ठ संपादकों के एक समूह से बातचीत में ये बातें कहीं। उन्‍होंने बताया कि अभी कॉमन ब्रिक्स करेंसी पर विचार नहीं किया जा रहा है। यह एक लंबी अवधि की संभावना है। ब्रिक्स सतर्क रहेगा और धीरे-धीरे काम करेगा। अभी समय नहीं आया है।

रूसी राष्ट्रपति का यह बयान ब्रिक्स की ओर से एक रिजर्व करेंसी बनाने की योजना के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आया था। ब्रिक्स को पश्चिम के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक प्रभुत्व के मुकाबले एक विकल्प के रूप में देखा जाता है।

पीएम मोदी शिखर सम्मेलन में लेंगे ह‍िस्‍सा

रूस तातारस्तान के कजान शहर में 16वें वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 से 23 अक्टूबर तक इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शामिल होने के बाद यह समूह का पहला शिखर सम्मेलन होगा। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के मूल सदस्य हैं।

एक सवाल के जवाब में पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स अब राष्ट्रीय करेंसी के इस्‍तेमाल को बढ़ाने और ऐसे साधन बनाने की संभावना का अध्ययन कर रहा है जो इस तरह के काम को सुरक्षित बनाएंगे। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश इलेक्ट्रॉनिक साधनों के इस्तेमाल की संभावना पर भी विचार कर रहे हैं।

पुतिन ने बताया कि समूह को एक ऐसा टूलकिट तैयार करना होगा जो संबंधित ब्रिक्स संस्थानों की देखरेख में हो। यह समूह की प्रत्यक्ष सक्रिय भागीदारी के साथ वैश्विक दक्षिण के विकास में एक और बहुत अच्छा कदम हो सकता है। कजान शिखर सम्मेलन के दौरान इस बारे में बात की जाएगी।

ब्रिक्‍स करेंसी पर जल्‍दबाजी नहीं की जाएगी...

ब्रिक्स करेंसी की संभावना पर पुतिन ने बताया कि कि सदस्य देशों को बिना जल्दबाजी के धीरे-धीरे काम करने की जरूरत है। उनकी आबादी को देखते हुए संरचना के मामले में ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाएं तुलनीय और कमोबेश समान होनी चाहिए। वरना उन मुद्दों का सामना करना पड़ेगा जो यूरोपीय संघ (ईयू) के देशों ने किया।

रूसी राष्ट्रपति ने केंद्रीय बैंकों के बीच संबंध स्थापित करने और वित्तीय जानकारी के विश्वसनीय आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने की जरूरत को भी बल दिया। यह देखते हुए कि डिजिटल करेंसी ब्रिक्स सदस्यों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं दोनों को लाभान्वित कर सकती हैं, पुतिन ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और अधिक आर्थिक स्वतंत्रता का दावा करने के लिए समूह की व्यापक रणनीति पर प्रकाश डाला। उन्‍हें लगता है कि अमेरिका को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि उन्होंने लगातार प्रतिबंध लगाकर रूस के साथ संबंध खराब कर दिए हैं। इसका अंत में उन पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए पूरी दुनिया सोच रही है कि क्या डॉलर इस्तेमाल करने लायक है।

पुतिन ने यह भी बताया कि रूस के सभी बाहरी व्यापार का 95 फीसदी राष्ट्रीय मुद्राओं में होता है। अब डॉलर की मात्रा कम हो रही है, निपटान और भंडार दोनों में। यहां तक कि अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी भी अपने डॉलर के भंडार को कम कर रहे हैं।

पुतिन की यह बात मोदी के मन की क्‍यों?

रूस और चीन जैसे देश अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को दरकिनार करने के लिए वैकल्पिक वैश्विक वित्तीय और तकनीकी प्रणाली बनाने की मांग करते रहे हैं। इसे डी-डॉलराइजेशन एजेंडा के रूप में जाना जाता है। वहीं, भारत का रुख यह रहा है कि वह अमेरिकी डॉलर को टारगेट नहीं करेगा। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता को समाप्त करने की कोई योजना नहीं है। वह व्यापार और लेनदेन के लिए मुद्रा का इस्‍तेमाल करेगा, जहां यह भुगतान का एक आवश्यक रूप बना हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि भारत को डी-डॉलराइजेशन एजेंडे में कोई दिलचस्पी नहीं है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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